जनसंख्‍या का विस्‍फोट / ओशो

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जनसंख्‍या का विस्‍फोट
जनसंख्या का विस्फोट

भीड़ में निजता मिट गई है

जनसंख्‍या का बढ़ना आत्‍मघाती है

ब्रह्मचर्य से कोई परमात्‍मा की तरफ नहीं जा सकता

संतति नियमन इेच्‍छिक नहीं अनिवार्य होना चाहिए

अधिकतम सुख चाहिए तो परिवार का नियमन चाहिए

वहीं देश शक्‍ति शाली होगा जिसके पास ज्‍यादा व्‍यक्‍ति नहीं है