प्रेम में होड़ / पवित्र पाप / सुशोभित

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प्रेम में होड़
सुशोभित


प्रेम में एक होड़ यह भी होती है कि देखें कौन पहले जाता है!

यह सदैव ही बराबरी का सम्बंध नहीं होता। दो में से एक मन ही मन जानता है कि जाना उसको है, डोर उसके हाथ में है, और दूसरा इस कल्पना से ही काँपता है कि एक दिन यह होगा।

एक मुस्कराकर कहता है, देखना एक दिन तुम जाओगे! और दूसरा तड़पकर कि तुम जाओगे तो नहीं ना, तुम जाना नहीं, मैं मर जाऊँगा!

दोनों ही उलाहना देते हैं। दोनों ही जानते हैं कि जो जायेगा, वह जीतेगा, और जो पीछे रह जायेगा, वो हारेगा।

फिर याद का दीया भी वही जलाये रखता है, जो जाता है। इस ग्लानि से कि वो पहले गया था, और दोनों में से वो जीवित रह गया है, नष्ट नहीं हुआ!

जो नष्ट हुआ, वह तो गूँगा है, अवाक है। जो मर गया, वो ख़ुद अपनी क़ब्र पर कैसे फूल चढ़ाये!