बिगड़ैल बच्चे / भाग 2 / मनीषा कुलश्रेष्ठ

Gadya Kosh से
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मैं साथ लाई किताबों में से कुछ भी नहीं पढ़ पा रही थी। पन्द्रह मिनट तक मैं वह कानफाड़ू संगीत सुनती रही। अध्ेाड़ व्यक्ति मेरी परेशानी भांप रहे थे। उन्होंने छोटे लड़के के घुटनों पर थपथपया। उसने इयरफोन हटाया और उनकी तरफ चिढ़े हुए अन्दाज़ में देखने लगा। संगीत इयरफोन्स में से निकलकर ट्रेन के सरपट संगीत से पूरी टक्कर ले रहा था।

`फॉर एवर फॉर एवर टनन्ना' `टों छक छक छुक दुक..डडड टूं'

`अगर तुम इतना तेज़ म्यूजिक सुनोगे तुम्हारे कान खराब हो जायेंगे', अधेड़ सज्जन ने विनम्रता से धीरे से कहा।

लड़के ने सिर हिला दिया, यह संकेते देते हुए कि पहली बात तो वह कुछ सुन नहीं पा रहा दूसरे उसे हिन्दी नहीं समझ आती। उन्होंने थोड़ी तेज़ आवाज़ में अंग्रेजी में कहा किज्ञ् `इफ यू विल लिसन लाउड म्यूजिक योर हियरिंग विल बी डैमेज्ड।'

`ह्वाट?' उसने तेज़ आवाज़ में पूछा और वॉकमैन बन्द कर दिया।

`ही इज सेइंग... यू आर गोइंर्ग टू रुइन योर हियरिंग, इफ यू विल कन्टीन्यू प्ले म्यूजिक सो लाऊड।' मैं सन्नाटे में जोर से चीख पड़ी। अचानक वे तीनों जोर से हंस पड़े। छोटे लड़के ने हंसी रोकते हुए टूटी-फूटी हिन्दी में गोअन ढंग से कहाज्ञ् `अच्छा! शुक्रिया।' और इयरफोन को गले से लटका लिया और वॉकमैन बरमूडा की लम्बी लटकती जेब में डाल लिया, जिससे वह और लटक गई।


मैं झेंपकर उठ खड़ी हुई और हैण्ड टॉवेल लेकर बाथरूम जाने का उपक्रम करने लगी। मेरे मुड़ते ही आवाज़ आई `... ह्वाट फकिन कन्सर्न दे ओल्डीज़ हैव!' यह आवाज़ लड़की की थी।

`शटअप लीजा। शी इज राइट।' यह गंभीर आवाज़ बड़े लड़के की थी।

मैं बाथरूम से लौटी तो बड़ा लड़का `डेबॉनेयर' का सेंटरस्प्रेड देख रहा था। लड़की भी साथ झुकी थी... बीच-बीच में बड़े लड़के की धीमी आवाज़ में की गई किसी टिप्पणी पर वह उसके बाल खींच देती या पीठ पर मुक्का जमा देती।

वह अधेड़ सज्जन और उनकी पत्नी अब मेरी ओर सहानुभूति के साथ मुखातिब थे। आपसी परिचय से पता चला कि वे डाक्टर हैं। उनकी पत्नी अध्यापिका।

`यह हाल है हमारे देश की युवा पीढ़ी का!' यह डॉक्टर साहब कह रहे थे।

`दिन पर दिन बदतमीज़ होते जा रहे हैं। संस्कार बचे ही नहीं।' उनकी पत्नी ने अपने में मशगूल उस युवा त्रयी को घूरकर देखकर कहा। छोटा लड़का थोड़ा झिझका और प्रतिक्रिया में उसने अपने जांघ तक ऊंचे चढ़ गये बरमूडा को नीचे खींच लिया और खिड़की के बाहर देखने लगा।

`हमारी भी गलती है... हमारे पास समय कहां है, जो इन्हें संस्कारों का पाठ पढ़ायें।' मैंने ठण्डी सांस लेकर कहा।

`देखने में तो मिडल क्लास लग रहे हैं... पर फैशन और रहन-सहन देखो। ये क्रिश्चियन तो होते ही ऐसे हैं। देख रही हैं न, कितनी बेशर्मी से गन्दी-गन्दी किताबें देख रहे हैं, बड़े-बूढ़ों का लिहाज ही नहीं है।'ज्ञ्डाक्टर की पत्नी ने फुसफुसा कर कहा।

`बात खाली एक जाति की नहीं है, हमारी यंग जेनरेशन पूरी की पूरी ही ऐसी है। कुछ वेस्टर्न कल्चर का असर था, बचा-खुचा टी.वी. चैनल्स ने पूरा कर दिया। इन लोगों को इतनी छूट है, हमें कभी थी क्या?' ज्ञ्डॉक्टर ने कहा।

`हां, हर पीढ़ी में अच्छाइयां और बुराइयां रही ही हैं।'

`हां जी, पर यह पीढ़ी तो... इनमें समझदारी नाम मात्र को नहीं है। देखो इन्हें... बस फालतू जोश! कुछ कर दिखाने, कुछ बनने-बनाने की न तो काबिलियत है, न अक्ल, न हिम्मत। सोशल वेल्यूज के नाम पर ज़ीरो।' अपनी तर्जनी अंगूठे से जोड़कर उन्होंने जीरो बनाकर दिखाया तो वह युवा त्रयी उन्हें आश्र्चर्य से देखने लगी। `दरअसल ये लोग भोगवाद में विश्वास करते हैं... जो आज मिल रहा है भोग लो... कैसे भी पैसा कमाओ और खर्च कर लो... मज़े करो बस। बाकी दुनिया जाये भाड़ में।' डॉक्टर की पत्नी उन्हें घूर-घूरू कोस रही थीं। वे तीनों समझ रहे थे कि हमारी बात का विषय वे तीनों ही हैं...शायद इसीलिए छोटा लड़का वॉकमैन सुनते-सुनते जोर से गाने लगा था और उन्हें चिढ़ाते हुए वह लड़की लड़के से एकदम सट कर बैठ गई। लड़का गिटार पर कोई गोअन धुन बजाने लगा था।

`भोगवाद कहें या भौतिकवाद... इससे हम भी कहां अछूते हैं? हां पर यह युवा पीढ़ी कुछ ज्यादा ही लापरवाह है। जो भी हो इन्हीं पर हमारा भविष्य टिका है।'

`भविष्य! ये युवा हमें वृद्धाश्रम के अलावा क्या देंगे? महास्वार्थी है यह पीढ़ी। पहले कभी हमने भारत में वृद्धाश्रमों का नाम तक सुना था? हमारी सास तो आखिर तक हमारी छाती... मेरा मतलब हमारे साथ रहती रहीं।'

डॉक्टर ने सर हिलाया और किसी सोच में डूब गये। मानो उनकी पत्नी ने पते की बात कही थी। फिर अखबार उठाकर पढ़ने लगे। उनकी स्थूल पत्नी नाश्ते का सामान सजाने लगी थीं।

`लीजिये न कुछ।'

`जी नहीं... मेरा कात है।' मैं सफाई से झूठ बोल गई। बचपन से मां की बंधाई हुई गांठ `सफर में किसी अजनबी से कुछ लेकर मत खाना' कस गई।

डॉक्टर ने तीनों युवाओं से एक औपचारिक आग्रह किया... उन तीनों ने बिना संकोच के एक-एक पूरी उठा ली और खाने लगे। मुंह में पूरी ठूंसे-ठूंसे लड़की ने कहा, `वैरी डैलीशियस आन्टी, ह्वाट पिकल इज दिस?' कहकर एक पूरी और उठा ली उस पर उंगली से अचार फैलाकर रोल बनाने लगी।

`टैंटी।' वे उदासीनता से बोलीं।

`ह्वाट टी?'

`ए वाइल्ड फ्रूट।' डॉक्टर ने समझाया।

`ओह आइ थॉट... दीज आर सी-फिशेज एग्ज।'