भाग 20 / हाजी मुराद / लेव तोल्सतोय / रूपसिंह चंदेल

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छावनी में इवान मैथ्यू के घर में हाजी मुराद ने एक सप्ताह का समय बिताया। हालांकि मेरी द्मित्रीव्ना सांवले हनेफी से झगड़ती रहती थी (हाजी मुराद अपने साथ केवल दो आदमियों को लाया था, हनेफी और एल्दार) और एक बार उसने उसे धक्का देकर रसोई से बाहर भी कर दिया था, जिसके लिए उसने उसे चाकू मारने का प्रयास किया था, लेकिन वह हाजी मुराद के प्रति स्पष्ट तौर पर सम्मान और सहानुभूति का विषेश भाव रखती थी और उसका आदर-सत्कार करती रही थी। अब वह उसके लिए भोजन सर्व नहीं करती थी, क्योंकि यह काम उसने एल्दार को सौंप दिया था, लेकिन वह उसे देखने और अनुग्रह करने के प्रत्येक अवसर का लाभ उठाती थी। वह उसके परिवार के विषय में प्रसन्नतापूर्वक रुचि लेते हुए बातें करती थी। वह जानती थी कि उसके कितनी पत्नियाँ और बच्चे थे और उनकी उम्र क्या थी और गुप्तचर के आने पर हर बार हरेक से वह पूछती थी कि बातचीत की प्रगति कैसी हो रही थी।

इस एक सप्ताह के दौरान बटलर की हाजी मुराद के साथ गहरी मित्रता हो गयी थी। कभी-कभी हाजी मुराद उसके कमरे में आ जाता था और कभी-कभी बटलर उसके पास चला जाता था। कभी वे दुभाषिये के माध्यम से बातें करते थे, और कभी-कभी अपनी युक्तियों, संकेतों और सबसे ऊपर मुस्कराहटों द्वारा एक दूसरे की बातें समझ लेते थे। स्पष्टरूप से हाजी मुराद बटलर के प्रति बहुत स्नेहशील था। यह बटलर के प्रति एल्दार के व्यवहार से स्पष्ट था। जब बटलर हाजी मुराद के कमरे में प्रवेश करता, एल्दार अपने चमकीले दांत दिखाता हुआ प्रसन्नतापूर्वक बटलर का स्वागत करता था, और शीघ्रता से उसके बैठने के लिए कुशन बिछा देता था और उसकी तलवार उससे ले लेता था यदि उसने उसे पहन रखा होता था।

बटलर ने सांवले हनेफी, हाजी मुराद के सहोदर के साथ भी मित्रता बना ली थी। हनेफी पहाड़ों के बहुत से गाने जानता था और उन्हें अच्छी तरह गाता भी था। हाजी मुराद प्राय: बटलर के लिए हनेफी के पास जाता था और जिस गाने को वह पसंद करता था, उससे गाने की मांग करता था। हनेफी का स्वर ऊंचा था। वह विशेषरूप से साफ-साफ और अभिव्यंजक रूप से गाता था। एक गीत हाजी मुराद को विशेष पसंद था, और उसकी उदास और गंभीर लय ने बटलर को भी बहुत प्रभावित किया था। बटलर ने उसका अर्थ प्रस्तुत करने के लिए दुभाषिये को कहा था।

गीत रक्त-भ्रातृत्व के विशय में था, जो सम्बन्ध हनेफी और हाजी मुराद के बीच बना हुआ था।

गीत के शब्द निम्न थे –

“मेरी कब्र पर जमीन सूख जायेगी,
और मुरझाई हुई तू
मुझे भूल जाना,
मेरी माँ।
कब्रिस्तान में अत्यधिक फैलनेवाली
सघन घास उग आयेगी,
और घास,
तेरे विशाद को ठण्डा कर देगी,
मेरे वृद्ध पिता।
मेरी बहन की ऑंखों में
आंसू सूख जायेगें,
और विषाद उसके हृदय से
उड़ जायेगा। ”
“लेकिन म्लान हुआ तू,
मत भूल जाना मुझे,
मेरे अग्रज,
जब तक तू मेरी मृत्यु का,
प्रतिशोध न ले ले।

न ही मेरा दूसरा भाई
भूल पायेगा मुझे जब तक
वह लेटा है मेरी बगल में। ”
“ओह, आग्नेय, मृत्युवाही गोली,
तू थी नहीं मेरी
वफादार गुलाम?
काली धरती,
जिसने मुझे छुपा लिया,
मैनें तुझे अपने घोड़े से,
रौंदा नहीं?
ठण्डी चालाक तू,
मृत्यु,
लेकिन मैं तेरा स्वामी था।
धरती मेरा शरीर ले,
और स्वर्ग मेरी आत्मा। ”

हाजी मुराद सदैव इस गीत को ऑंखें बंद करके सुनता था, और लंबे आरोह के बाद जब वह धीरे-धीरे समाप्त होता था वह सदैव रूसी भाषा में कहता था :

“सुन्दर गीत, अच्छा गीत। ”

हाजी मुराद के आगमन और उसके तथा उसके अनुयायाइयों के साथ मित्रता के समय से ही पर्वतीय जीवन के प्राणाधार काव्य ने बटलर को और अधिक मंत्रमुग्ध कर दिया था। वह उसी प्रकार के वस्त्र, कज्जाकी टयूनिक और पायजामा पहनने लगा था। वह उन लोगों जैसा जीवन जीता हुआ, स्वयं के कबाइली होने की कल्पना करता था।

हाजी मुराद के प्रस्थान के दिन इवान मैथ्यू ने कुछ अफसरों को विदाई पार्टी के लिए एकत्रित किया था। कुछ अफसर चाय की मेज पर बैठे हुए थे, जहाँ मेरी द्मित्रीव्ना चाय ढाल रही थी, और कुछ वोद्का, ब्राण्डी और स्नैक्स के साथ दूसरी मेज पर बैठे थे। हाजी मुराद यात्रा के कपड़े पहने हुए, हल्के, तेज कदमों से लंगड़ाकर चलता हुआ कमरे में आया।

वे सभी उठ खड़े हुए और बारी-बारी से सभी ने उससे हाथ मिलाया। इवान मैथ्यू ने उसे दीवान पर बैठने के लिए आमन्त्रित किया, लेकिन उसने इंकार कर दिया और खिड़की के पास एक कुर्सी पर बैठ गया। उसके प्रवेश के समय सभी के चेहरों पर जो खामोशी छा गयी थी उससे वह बिल्कुल परेशान नहीं हुआ। उसने सतर्कतापूर्वक सभी के चेहरों पर नजरें घुमायीं और समोवार और स्नैक्स सहित मेज को निर्विकार भाव से घूरने लगा। पेत्रोव्स्की ने, जो एक उच्च भावना वाला अधिकारी था, और जिसने पहले हाजी मुराद को नहीं देखा था, दुभाषिये के माध्यम से पूछा कि उसे तिफ्लिस पसंद आया या नहीं।

“आया,” वह बोला।

“वह कहता है, हाँ, “दुभाषिये ने कहा।

“उसने क्या पसंद किया? ”

हाज़ी मुराद ने उत्तर दिया।

“उसे सबसे अधिक थियेटर पसंद आया। ”

“उसे सुप्रीम कमाण्डर की नृत्य सभा कैसी लगी? ”

हाजी मुराद ने त्योंरियाँ चढ़ाईं।

“प्रत्येक देश की अपनी प्रथाएं होती हैं। हमारी औरतें उस प्रकार के कपड़े नहीं पहनतीं, “मेरी द्मित्रीव्ना पर उचटती नजर डालता हुआ वह बोला।

“उसमें उसे क्या पसंद नहीं आया? ”

“हमारे यहाँ एक कहावत है, “उसने दुभाषिये से कहा, “कुत्ते ने गधे को मांस दिया, गधे ने कुत्ते को सूखी घास दी, और दोनों ही भूखे बने रहे। ” वह मुस्कराया। “सभी लोग अपनी प्रथाओं को अच्छा समझते हैं। ”

बातचीत यहीं समाप्त हो गयी। कुछ अफसरों ने चाय पीना प्रारंभ कर दिया, और कुछ ने भोजन लिया। हाजी मुराद ने एक कप चाय स्वीकार की और उसे अपने आगे रख ली।

“आपके पास क्रीम होगी? --- और एक बन? ” उसे सर्व करती हुई, मेरी द्मित्रीव्ना बोली।

हाजी मुराद ने इंकार में अपना सिर हिलाया।

“अच्छा, यह विदाई का समय है “, उसकी कोहनी को छूता हुआ, बटलर बोला। ” पुन: हम कब मिलेगें? ”

“विदाई, विदाई, “मुस्काराता हुआ, हाजी मुराद रशियन में बोला। “वफादार मित्र, आपका सच्चा मित्र। चलने का समय आ गया है, ” यात्रा करने वाली दिशा की ओर अपना सिर हिलाते हुए वह बोला।

अपने कंधे पर कोई बड़ी सफेद वस्तु लादे और हाथ में तलवार लिये एल्दार कमरे के दरवाजे में प्रकट हुआ। हाजी मुराद ने इशारे से उसे बुलाया, और एल्दार लंबे डग भरता हुआ हाजी मुराद के पास आया और उसे सफेद लबादा और तलवार दी। हाजी मुराद उठ खड़ा हुआ, लबादा लिया, उसे अपनी बांह पर डाला और दुभाषिये से कुछ कहते हुए, उसने उसे मेरी द्मित्रीव्ना की ओर बढ़ाया। दुभाषिये ने दोहराया :

“आप लबादे की प्रशंसा किया करती थीं, उसे ले लें। ”

“ओह नहीं,” मेरी द्मित्रीव्ना, लज्जारुण होती हुई बोली।

“आपको लेना ही होगा। यह रिवाज़ है,” हाजी मुराद ने कहा।

“खैर, आपको धन्यवाद, “लबादा लेते हुए, मेरी द्मित्रीव्ना बोली। “ईश्वर आपको आपके बेटे की रक्षा की शक्ति प्रदान करे। ” उसने आगे कहा, “उलान यक्षी (महान साथी )”, वह बोली, “उसे बताओ कि मुझे आशा है कि वह अपने परिवार को छुड़ा लेगा। ”

हाजी मुराद ने मेरी द्मित्रीव्ना की ओर देखा और स्वीकृति स्वरूप अपना सिर हिलाया। फिर उसने एल्दार के हाथ से तलवार ली और उसे इवान मैथ्यू को दी। इवान मैथ्यू ने तलवार ले ली और दुभाषिये से बोला :

“उससे कहो कि वह मेरा भूरा खस्सी घोड़ा ले ले। मेरे पास देने के लिए वही है। ”

हाजी मुराद ने अपने चेहरे के सामने यह प्रदर्शित करते हुए अपना हाथ हिलाया कि उसे किसी चीज की आवश्यकता नहीं है और वह उसे नहीं लेगा, फिर, पर्वतों और अपने हृदय की ओर इशारा करते हुए, वह दरवाजे तक गया। सभी उसके पीछे-पीछे चले। कमरे में बचे रहे अफसरों ने तलवार ली, उसकी धार का परीक्षण किया और पाया कि वह एक असली गुर्दे की थी।

बटलर हाजी मुराद के साथ डयोढ़ी तक गया। यहाँ कुछ ऐसा अप्रत्याशित घटित हुआ, जिसमें हाजी मुराद की मृत्यु संभव थी लेकिन अपनी स्फूर्ति और दृढ़ता के कारण वह बच गया था।

ताल्या काचू के कुमिक गाँव के निवासियों ने, जो हाजी मुराद का बहुत आदर करते थे और प्राय: अपने प्रसिद्ध मुखिया की एक झलक पाने के लिए दुर्ग में आया करते थे, हाजी मुराद के प्रस्थान से तीन दिन पहले दूत भेजकर ज़ुमे के दिन अपनी मस्जिद में उसे आमन्त्रित किया था। लेकिन ताल्या काचु में रह रही कुमिक की प्रिन्सेज, जो हाजी मुराद से घृणा करती थी और उसके साथ रक्त-बैर रखती थी, को जब यह ज्ञात हुआ तब उसने लोगों से कहा कि वे हाजी मुराद को मस्जिद में प्रवेश न करने दें। लेकिन लोगों ने विद्रोह कर दिया था, और इस बात पर ग्रामीणों और प्रिन्सेज के समर्थकों के मध्य संघर्ष हुआ था। रूसी अधिकारियों ने पर्वत के लोगों को शांत किया था और हाजी मुराद के पास संदेश भेजकर कहलवाया था कि वह मस्जिद में न जाए। हाजी मुराद वहाँ नहीं गया था। सभी ने सोचा था कि मामला समाप्त हो गया।

लेकिन हाजी मुराद के ठीक प्रस्थान के समय, जब वह पहले से ही डयोढ़ी पर खड़ा था और घोड़े चलने के लिए बिल्कुल तैयार थे, बटलर और इवान मैथ्यू का परिचित एक कुमिक प्रिंस, अर्सलां-खाँ, घोड़े पर सवार इवान मैथ्यू के घर आया।

हाजी मुराद को देख, उसने अपनी बेल्ट से पिस्तौल निकाली और हाजी मुराद पर निशाना साधा। लेकिन वह गोली चला पाता उससे पहले ही, हाजी मुराद, अपनी लंगड़ाहट के बावजूद पोर्च से बिल्ली की भांति उस पर झपटा था। अर्सलां-खाँ ने फायर किया और निशाना चूक गया था। हाजी मुराद दौड़कर उस तक गया था, एक हाथ से लगाम से उसके घोड़े को पकड़ा था, अपनी कटार निकाली थी और तातारी में चीखते हुए कुछ कहा था।

बटलर और एल्दार क्रमशः तेजी से आगे बढ़े थे और उन्होंने दोनों को बाहों से पकड़ लिया था। गोली चलने की आवाज सुनकर इवान मैथ्यू भी बाहर आ गया था।

“अर्सलां, यह क्या है? मेरे घर में इस प्रकार का अपराध करने का दुस्साहस आपने कैसे किया? “जब उसे ज्ञात हुआ कि क्या घटित हुआ था, तब वह बोला। “यह अन्यायपूर्ण है। झगड़ने के लिए बाहर पर्याप्त जगहें हैं, इसलिए यहाँ रक्तपात का दु:स्साहस मत करना। ”

काली मूंछों वाला अर्सलां-खाँ, छोटे कद का आदमी था। वह लरजता हुआ घोड़े से उतरा। हाजी मुराद पर क्रुद्ध दृष्टि डाली और इवान मैथ्यू के साथ उसके कमरे में चला गया। हाजी मुराद सांस लेने के लिए हांफता हुआ और मुस्कराता हुआ, घोड़े के पास लौट आया।

“वह उसे क्यों मारना चाहता था? ” बटलर ने दुभाषिये के माध्यम से पूछा।

“वह कहता है कि यह उनका सिद्धन्त है,” दुभाषिये ने हाजी मुराद के शब्दों का अनुवाद किया। “अर्सलां-खाँ रक्त-बैर के कारण अपना प्रतिशोध लेना चाहता था ----इसलिए उसने मारने का प्रयास किया था। ”

“यदि वह उसे मार्ग में आ पकड़े तो क्या हो? ” बटलर ने पूछा।

हाजी मुराद मुस्कराया।

“हाँ, यदि वह मुझे मार देता है तो इसका अर्थ है कि अल्लाह की यही इच्छा है। फिर, अलविदा,” उसने पुन: रशियन में कहा, और अपने घोड़े के अयाल को पकड़कर सभी उपस्थित लोगों पर दृष्टि डाली और हार्दिकतापूर्वक मेरी द्मित्रीव्ना से दृष्टि विनिमय किया।

“मेरे, प्रिय, अलविदा,” उसने उसे सम्बोधित करते हुए कहा, “विदा। ”

“ईश्वर आपको आपके परिवार की रक्षा की शक्ति प्रदान करे, ईश्वर शक्ति प्रदान करता है, ” मेरी द्मित्रीव्ना ने दोहराया।

वह शब्दों को समझ नहीं पाया, लेकिन उसने अपने लिए उसकी संवेदना को अनुभव किया और उत्तर में अपना सिर हिलाया।

“घनिष्ट मित्रों को भूल मत जाना “बटलर बोला।

“उसे बताओ कि मैं उसका सच्चा मित्र हँ। मैं कभी नहीं भूलूगां, ” हाजी मुराद ने दुभाषिये के माध्यम से उत्तर दिया, और अपने लंगड़े पैर के बावजूद, मुश्किल से रकाब पर पैर रखकर उसने तेजी से अपने शरीर को उछाला और सहजता से ऊंची काठी पर पहुंच गया। अपनी तलवार को संभालकर और स्वभाव के विपरीत अपनी पिस्तौल छूकर, अपने घोड़े पर वह गर्व-सहित एक यौद्धिक की भांति, जो कबीलाइयों की विशेषता होती है, इवान मैथ्यू के घर से चल पड़ा। हनेफी और एल्दार भी घोड़े पर सवार हुए। उन्होंने भी अपने मेजबानों और अफसरों से सौहार्दपूर्ण विदा ली और अपने स्वामी के पीछे दौड़ लिए थे।

अनिवार्यरूप से वे सभी विदा हुए अतिथि की चर्चा में डूब गये थे।

“अच्छा आदमी है। ”

“तुमने उसे अर्सलां खाँ पर उछलते हुए देखा था? एक भेड़िये की भाँति ! उसका चेहरा बिल्कुल ही बदल गया था। ”

“वह तेजी से आगे बढ़ेगा। वह बहुत बड़ा धूर्त है, मैं शर्त लगाता हँ, “पेत्रोकोव्स्की बोला।

“तब उस जैसे कुछ और रूसी धूर्त हमारे यहाँ होने चाहिए, “मेरी द्मित्रीव्ना ने खिन्न स्वर में अचानक ही हस्तक्षेप किया। “उसने हमारे साथ एक सप्ताह व्यतीत किया, और हमने अच्छाई के अतिरिक्त उसमें कुछ भी अनुभव नहीं किया,” वह बोली। “वह दयालु, बुद्धिमान और न्यायप्रिय था। ”

“तुम यह सब कैसे जानती हो? ”

“दुखी न हो, मैं जानती हूं। ”

“ओह, तुम्हे उस पर प्यार है? बाहर आते हुए, इवान मैथ्यू बोला -- “यही बात है न !”

“बिल्कुल सही, मुझे उस पर प्यार है। लेकिन आप अपना काम देखें। बुरा क्यों बोलते हैं, जब वह एक अच्छा इंसान है? वह एक तातार है, लेकिन वह एक अच्छा व्यक्ति है। ”

“बिल्कुल ठीक, मेरी द्मित्रीव्ना, “बटलर बोला, “उसके लिए अड़े रहने के लिए तुम्हे मेरा साधुवाद। ”