भाग 21 / हाजी मुराद / लेव तोल्सतोय / रूपसिंह चंदेल

Gadya Kosh से
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चेचेन सीमा की अग्रवर्ती छावनियों के निवासियों का जीवन पूर्ववत चल रहा था। वहाँ खतरे के दो और संकेत मिले थे जिस कारण पैदल सेना की टुकड़ियों की संख्या दोगुनी कर दी गयी थी और कज्जा़क और सहयोगी सेना को तेजी से उस ओर दौड़ाया गया था, लेकिन एक बार भी वे कबाइलाइयों को पकड़ नहीं सके थे। कबाइली सही-सलामत बच निकले थे, और एक बार वोज्दविजेन्स्क में स्नानस्थल से वे आठ कज्जाकी घोड़े पकड़ ले गये थे और उन्होंने एक कज्जाक की हत्या कर दी थी। पिछले आक्रमण के बाद,, जब गाँव को तबाह किया गया था, रूसियों द्वारा कोई आक्रमण नहीं किया गया था। लेफ्ट फ्लैंक के नये कमाण्डर के रूप में, प्रिन्स बर्यातिन्स्की की नियुक्ति होने से विशाल चेचेन्या में एक बड़े अभियान की उम्मीद की जा रही थी।

प्रिन्स बर्यातिन्स्की, युवराज का मित्र था। वह कबर्दियां रेजीमण्ट का पूर्व कमाण्डर था, और अब सम्पूर्ण लेफ्ट फ्लैंक का कमाण्डर था। वोरोन्त्सोव को जो पत्र चेर्नीशोव ने भेजा था उसमें उल्लखित सम्राट के आदेशों के कार्यान्वयन के लिए ग्रोज्नी पहुंचने के तुरंत बाद उसने सेना एकतित्रत कर ली थी। सैन्य टुकड़ी ने वोज्दविजेन्स्क में एकत्र होकर कुरियन सैन्यदल के आगे मोर्चा संभालने के लिए प्रस्थान किया था। सेनाओं ने वहाँ पड़ाव डाला था और जंगल काटना प्रारंभ कर दिया था। नौजवान वोरोन्त्सोव बहुमूल्य लिनेन के तंबू में रह रहा था, और उसकी पत्नी मेरी वसीलीव्ना प्राय: कैम्प में आती रहती थी और कभी-कभी रात में वहाँ ठहरती भी थी। बर्यातिन्स्की के साथ मेरी वसीलीव्ना का संबन्ध एक खुला रहस्य था। सामान्य अफसर और लोग उसे अशिष्ट गालियाँ दिया करते थे, क्योंकि यदि वह कैम्प में होती थी तो उन्हें बाहर पहरेदारी के लिए भेज दिया जाता था। कबीलाई लोग प्राय: तोपें लेकर आते थे और कैम्प पर गोलाबारी किया करते थे। वैसे अधिकांश गोले व्यर्थ जाते थे। सामान्य समय में फायरिगं के विरुद्ध कोई कार्यवाई नहीं की जाती थी, लेकिन रात्रि पहरेदारों का पहरा इसलिए बैठा दिया जाता था कि कबाइलियों को तोपें लेकर आने से रोका जा सके जिससे मेरी वसीलीव्ना भयभीत न हो। एक महिला को आतंक से बचाने के लिए हर रात छुपकर बैठना उन लोगों के लिए अपमानजनक और घृणास्पद था, और मेरी वसीलीव्ना के लिए उन सैनिकों और अधिकारियों द्वारा जिन्हें उच्च समाज में स्वीकृति प्राप्त नहीं थी भरपूर खराब भाषा का प्रयोग किया जाता था।

बटलर अपनी छावनी से अवकाश लेकर इस समय कुरियन रेजीमण्ट में सहायक और स्टॉफ अफसरों के रूप में कार्य कर रहे संचार कोर के अपने पुराने मित्रों से मिलने के लिए इस सेना में आया हुआ था। प्रारंभ से ही उसका प्रवास बहुत आनंदमय रहा था। वह पोल्तोरत्स्की के टेण्ट में ठहरा हुआ था और वहाँ उसकी मुलाकात बहुत से मित्रों से हुई थी जिन्होंने उत्साहपूर्वक उसका स्वागत किया था। वह वोरोन्सोव से भी मिलने गया था, जिसे वह कुछ-कुछ जानता था क्योंकि एक बार उन्होंने एक ही रेजीमण्ट में एक साथ काम किया था। वोरोन्त्सोव ने गर्मजोशी से उसका स्वागत किया था। उसने प्रिन्स बर्यातिन्स्की से उसका परिचय करवाया था और उसे विदाई के रात्रिभोज में आमंत्रित किया था जो वह बर्यातिन्स्की के पूर्ववर्ती लेफ्ट फ्लैंक के कमाण्डर जनरल कोज्लोव्स्की के लिए दे रहा था।

यह एक शानदार रात्रिभोज था। तम्बुओं को एक कतार में लगाया गया था। मेजें पूरी लंबाई में भोजन सामग्री और शराब की बोतलों से सजी हुई थीं। सब कुछ पीटर्सबर्ग में संरक्षित जीवन का स्मरण करवाने वाला था। दो बजे सभी ने अपने स्थान ग्रहण किये थे। कोज्लोव्स्की एक ओर बीच में, और बर्यातिन्स्की दूसरी ओर बीच में बैठे थे। वोरोन्त्सोव कोज्लोव्स्की के एक ओर बैठा था। बटलर पोल्तोरत्स्की के बगल में बैठा था। वे दोनो गप्पों का आनंद ले रहे थे और अपने आस-पास बैठे अधिकारियों के साथ पी रहे थे। जब वे गाय के माँस के टिक्के लेने लगे, नौकर ने हरेक के लिए शैम्पेन की एक बोतल खोल दी थी। पोल्तोरत्स्की अकृत्रिम भय और सहानुभूतिपूर्वक बटलर से बोला था :

“बूढ़ा व्यक्ति अपनी बदनामी करवायेगा। ”

“कैसे? ”

“उसे भाषण देना है। संसार में उसे क्या करना होगा? ”

“यह आग के नीचे फ़सील खींचना जैसा नहीं है? खासकर तब जब एक महिला और वे संभ्रांत लोग उसके बगल में बैठे हुए हैं। ”

“बेचारा, वृद्ध बालक, उसकी ओर देखने से दुख होता है,” अधिकारियों ने आपस में कहा।

लेकिन अब महत्वपूर्ण क्षण आ गया था। बर्यातिन्स्की उठ खड़ा हुआ, उसने अपना चश्मा ठीक किया, और कोज्लोव्स्की के विषय में संक्षिप्त भाशण दिया। जब बर्यातिन्स्की ने भाषण समाप्त किया, कोज्लोव्स्की खड़ा हुआ और सुस्पष्ट और दृढ़ स्वर में बोलना प्रारंभ किया :

“महामहिम सम्राट के सर्वोच्च आदेशानुसार, हुम, मैं आपसे विदा लेता हँ। साथी अधिकारियों, मैं, आपसे विदा लेता हँ, ” वह बोला। “लेकिन मुझे सदैव याद करें, हुम, आपके साथ ......... सज्जनों, आप भलीभाँति जानते हैं, हुम, सच्चाई ....... अकेला एक आदमी योद्धा नहीं होता। और इस प्रकार अपनी नौकरी में जो कुछ मैनें अर्जित किया है, हुम, वह सब, हुम, वह हमारे सर्वश्रेष्ठ सम्राट की महान उदारता से मुझे प्राप्त हुआ है -----जैसे आप कह सकते हैं, मेरी सम्पूर्ण हैसियत, हुम, मेरी अच्छी ख्याति, हुम, सब कुछ, सब कुछ ......। ” यहाँ उसकी आवाज थरथराने लगी थी,” मैं, हुम, मेरे प्यारे मित्रों, इस सबके लिए आपका और केवल आपका, आभारी हूं। ” और उसके झुर्रियोंदार चेहरे पर और अधिक झुर्रियाँ उभर आयीं थीं। उसने आंखें बंद कर लीं थीं, और उसकी ऑंखों से आंसू बह आये थे। “अपने हृदय के अंतस्तल से, मैं, हुम, अपना सच्चा, हार्दिक, आभार प्रस्तुत करता हूं...........।”

कोज्लोव्स्की और अधिक नहीं कह सका, और जो अधिकारी उसके पास आए उसने उनका आलिगंन करना प्रारंभ कर दिया। हर कोई आगे आया। प्रिंसेज ने अपना चेहरा रूमाल से ढक लिया था। प्रिन्स साइमन माइकेल का मुंह विकृत हो रहा था और वह आंखें मुलमुला रहा था। अनेक अधिकारियों की आंखों से आंसू फूट निकले थे। बटलर भी, जो कोज्लोव्स्की को बहुत कम जानता था, अपने आंसू नहीं रोक सका था। उसे यह सब अत्यधिक पसंद आया था। उसके पश्चात् बर्यातिन्स्की, वोरोन्त्सोव, अफसरों, सैनिकों, और अतिथियों ने सलामती जाम पिया था और जो शराब उन्होंनें पी और संघभाव, जिसके लिए वे सदैव अत्यधिक तत्पर रहते थे, मतवाले होकर उन्होंने डिनर टेबल छोड़ी थी।

मौसम शानदार, सुहावना और उजला था। रूह को सरशार करनेवाली ताजी हवा बह रही थी। सर्वत्र अलावों की चटचटाहट थी और गायन प्रारंभ हो गया था। बटलर अत्यंत प्रसन्न और मित्रता के गहन मनोभाव से युक्त पोल्तोरत्स्की के मकान में गया था। अधिकारीगण पोल्तोरत्स्की के यहां एकत्रित हुए थे। कार्ड-टेबल खोल दी गई थी, और परि-सहायक ने अधिकोश के रूप में सौ रूबल रख दिये थे। बटलर पैण्ट की जेब के अंदर हाथ में पर्स पकड़े दो बार टेण्ट छोड़कर बाहर गया, लेकिन अंतत: अधिक देर तक वह बाहर रुक नहीं सका था, और खुद से और अपने भाइयों से जुआ न खेलने की प्रतिज्ञा करने के बावजूद उसने खेलना प्रारंभ कर दिया था।

एक घण्टा भी व्यतीत नहीं हुआ था कि सुर्ख, पसीने से तरबतर, और खड़िया-सा मलिन चेहरा लिए बटलर मेज पर दोनों कोहनियां टेके, कोनों और किनारों पर घिस चुके पत्तों पर अपनी बाजी के आंकड़ें दर्ज कर रहा था। वह इतना अधिक हार गया था कि वह अपना हिसाब जोड़ने से भी भयभीत हो रहा था। बिना गणना के ही वह जानता था कि अपना पूरा वेतन अग्रिम निकाल लेने और अपने घोड़े के मूल्य से भी वह उस राशि का भुगतान नहीं कर सकता था जिसे अपरिचित परि-सहायक ने उसके नाम के सामने लिख दिया था। उसने खेलना जारी रखा होता, लेकिन सहायक ने सख्ती से उसके साफ-सुथरे गोरे हाथों से पत्ते खींच लिए थे और बटलर के नाम के सामने लिखी राशि को जोड़ना प्रारंभ कर दिया था। बटलर ने व्याकुलतापूर्वक उससे उसे छूट देने के लिए निवेदन किया था, क्योंकि वह जितना भी हारा था उसका भुगतान तुरंत नहीं कर सकता था, और उसने कहा था कि यह वह घर से भेज देगा। फिर उसने ध्यान दिया था कि सभी उसके लिए दुखी थे, और वे सभी, यहाँ तक कि पोल्तोरत्स्की भी, उससे आंखें बचा रहे थे। वहाँ यह उसकी आखिरी शाम थी। उसने सोचा, यदि उसने खेला नहीं होता, बल्कि वोरोन्त्सोव के यहां जहाँ वह आमन्त्रित था चला गया होता, तो सब ठीक-ठाक रहा होता। अब यह एकदम भयानक था।

उसने अपने कॉमरेडों और मित्रों से विदा ली थी, और घर चला गया था, और जब वह घर पहुंचा वह तुरंत सोने के लिए लेट गया था और सीधे अठारह घण्टे तक सोता रहा था, जैसा कि लोग प्राय: जुआ में हार जाने के बाद करते हैं। मेरी द्मित्रीव्ना ने समझ लिया था कि वह पैसे हार आया था क्योंकि उसने अपने साथ आये कज्जाक को टिप देने के लिए उससे आधा रूबल मांगा था। साथ ही उसके उदास भाव और संक्षिप्त उत्तरों से भी उसने यह जान लिया था, और उसने इवान मैथ्यू को उसे वहां जाने देने के लिए फटकार लगायी थी।

अगले दिन बटलर दोपहर के लगभग जागा था। जब उसने अपनी स्थिति को याद किया उसने पुन: विस्मृति में डूब जाना चाहा था, जिससे वह अभी-अभी उबरा था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका। उसे चार सौ सत्तर रूबल देने का उपाय खोजना था जिसका वह एक अपरिचित व्यक्ति का देनदार था। उनमें से एक उपाय यह था कि अपने गुनाह को स्वीकार करते हुए वह अपने भाई को एक पत्र लिखे और उससे आखिरी बार उस मिल के नाम जो अभी भी उनके संयुक्त स्वामित्व में थी उधार के रूप में पाँच सौ रूबल भेजने का अनुरोध करे। फिर उसने एक कंजूस मौसी को भी पाँच सौ रूबल देने के लिए पत्र लिखा और कहा कि जितने भी ब्याजदर पर वह देना चाहे उसे पैसे दे।

“मैं यह दे सकता हँ, “इवान मैथ्यू ने कहा, “इसी समय, लेकिन मोली मुझे नहीं छोड़ेगी। ओह, खुदा जानता है, ये औरतें, ये सख्त मुट्ठी वाली होती हैं। लेकिन तुम चाहो तो उससे सीधे ले लो, जाओ, भाड़ में जाओ। उस ब------ के विषय में क्या हुआ, ----खाद्य प्रबंधक? उससे नहीं मिला? ”

लेकिन खाद्य प्रबंधक से कर्ज के लिए प्रयास करना उचित नहीं था। बटलर का उद्धार उसके भाई या उसकी कंजूस मौसी द्वारा ही केवल हो सकता था।