भाग 24 / हाजी मुराद / लेव तोल्सतोय / रूपसिंह चंदेल

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इन दिनों बटलर का एक मात्र उत्साह सैनिक जीवन पर कविता लिखना था, जिसमें वह न केवल अपनी डयूटी के समय में, बल्कि निजी जीवन-चर्या के दौरान भी लिप्त रहता था। वह प्राय: करकेशियन कपड़े पहने हुए घोड़े की पीठ पर बैठा अपना मनोविनोद करता रहता था, और दो बार बोग्दानोविच के साथ छुपकर हमला करने भी गया था। हालांकि एक बार भी उन्होंनें न किसी को चुनौती दी थी और न ही किसी को मारा था। बोग्दानोविच की निर्भीकता, जो अपनी बहादुरी के लिए प्रसिद्ध था, और उसके साथ अपनी मित्रता, बटलर को सुखद और महत्वपूर्ण प्रतीत होती थी। उसने एक यहूदी से ऊंचे ब्याज पर पैसे उधार लेकर अपना कर्ज चुकता कर दिया था, जो एक मात्र उसकी विलंबित और स्थगित होती आ रही अनसुलझी समस्या थी। वह अपनी स्थिति के विषय में सोचने का प्रयास नहीं करता था, और सैनिक जीवन पर कविता के अतिरिक्त, अपने को शराब में भुलाने का प्रयास किया करता था। वह अधिकाधिक पीने लगा था, और दिन-प्रतिदिन नैतिकरूप से कमजोर होता जा रहा था। मेरी द्मित्रीव्ना के साथ अपने संबन्धों में वह अब सुन्दर जोसेफ नहीं रहा था, बल्कि, उसके विपरीत उसके प्रति गवारूं ढंग से प्यार का इज़हार करने लगा था। लेकिन, मेरी द्मित्रीव्ना द्वारा दृढ़तापूर्वक अस्वीकार किए जाने से उसको अचम्भा हुआ था, जिसने उसे अत्यधिक शर्मसार किया था।

अप्रैल के अंत में सेना की एक टुकड़ी छावनी में पहुंची थी जिसे बर्यातिन्स्की ने पहले अगम्य माने गये सम्पूर्ण चेचेन्या में, नयी गतिविधि के लिए नियुक्त किया था। यहाँ कबर्दियन रेजीमेण्ट की दो कंपनियाँ थीं, और काकेशस में प्रचलित रिवाज के अनुसार, इन कम्पनियों का कुरियन रेजीमेण्ट से संबन्ध रखने वाली कम्पनियों द्वारा अतिथि के रूप में स्वागत किया था। सैनिकों को सभी बैरकों में बांट दिया गया था और उनका मनोरंजन न केवल रात्रिभोज में दलिया और गोमांस से किया गया था, बल्कि वोद्का से भी किया गया था, और अधिकारियों को साथी अधिकारियों के साथ ठहराया गया था। स्थानीय अधिकारियों ने आगन्तुको का स्वाभाविक ढंग से स्वागत किया था।

पार्टी मद्यपान और गाने के बाद समाप्त हुई थी, और अत्यधिक पी लेने के बाद इवान मैथ्यू टांगे फैलाकर कुर्सी पर बैठ गया था। इस समय उसका चेहरा लाल नहीं था, बल्कि निष्प्रभ और धूसर हो रहा था। उसने म्यान से तलवार खींची थी और उससे काल्पनिक शत्रुओं को काटने लगा था। बारी-बारी से वह सौगंध लेता जा रहा था, हंस रहा था, स्वयं का आलिगंन कर रहा था और अपने पसंद के गाने पर नृत्य कर रहा था - “बीते सालों में शमील युद्ध के लिए गया, द्रा-ला-ला, बीते सालों में ......। ” बटलर भी वहीं था। उसने यहाँ भी सैनिक जीवन का काव्य तलाशने का प्रयास किया था, लेकिन अपने हृदय में उसे इवान मैथ्यू के लिए दुख था, हालांकि उसे रोक लेने की उसे कोई आशा न थी। और बटलर, अपने सिर में चक्कर अनुभव कर रहा था। वह चुपचाप वहाँ से खिसक गया था और अपने मकान में चला गया था।

पूरा चाँद सफेद मकानों के ऊपर और सड़क के पत्थरों में चमकने लगा था। वह इतना चमकीला था कि सड़क पर प्रत्येक कंकड़, तिनका और गोबर का टुकड़ा स्पष्ट दिख रहा था। घर पहुंचकर, बटलर मेरी द्मित्रीव्ना से मिला था। उसका सिर और गर्दन शॉल में लिपटे हुए थे। उसने उसे जो झिड़की दी थी उसके पश्चात् से सामान्य अपराधबोध के कारण वह उससे मिलने से बचता रहा था। लेकिन इस समय, चाँदनी और पी हुई शराब के कारण उसे देखकर बटलर प्रसन्न हुआ था और वह उसे पुन: प्यार करना चाहता था।

“तुम कहाँ जा रही हो? ” उसने पूछा।

“अपने बूढ़े आदमी को एक नजर देखने” मुस्कराते हुए उसने उत्तर दिया था। उसने बटलर के प्रस्ताव को स्पष्ट और सीधे अस्वीकार कर दिया था, लेकिन वह यह भी नहीं चाहती थी कि पूरे समय वह उससे बचता रहे।

“उसे देखने जाने का क्या लाभ है? वह आ जायेगा। ”

“लेकिन वह आ पायेगा? ”

“वह चल नहीं पाता है, तो वे उसे उठाकर लायेगें। ”

“हॉ, यह अप्रतिष्ठा की बात है। तो भी, क्या न जाना अच्छा है? ”

“नहीं, मत जाओ। इसके बजाये घर जाओ। ”

मेरी द्मित्रीव्ना वापस मुड़ी थी और बटलर के साथ चल दी थी। चन्द्रमा इतना तेज चमक रहा था कि जैसे ही वे सड़क के पास मुड़े थे एक प्रभामण्डल ने उनके सिरों की परछाइयों को घेर लिया था। इस दीप्ति से अवगत, बटलर ने कहना चाहा था कि वह अभी भी उस पर अनुरक्त था, लेकिन नहीं जानता था कि शुरूआत कैसे करे। वह उसके बोलने की प्रतीक्षा करती रही थी। वे चुप्पी में ही लगभग घर पहुंच गये थे कि घुड़सवारों का एक दल एक ओर से आता दिखाई दिया था। एक अनुरक्षक के साथ एक अधिकारी था।

“हे ईश्वर, यह कौन है? ” मेरी द्मित्रीव्ना बोली और एक ओर को हट गयी थी।

चाँद घुड़सवार के पीछे चमक रहा था, इसलिए मेरी द्मित्रीव्ना ने उसे तब पहचाना जब वह लगभग उसके बराबर आ पंहुचा था। वह एक अधिकारी, केमनोव था, जिसने एक बार इवान मैथ्यू के साथ काम किया था, और मेरी द्मित्रीव्ना उसे जानती थी।

“पीटर निकोलस, यह आप हैं? “मेरी द्मित्रीव्ना ने उससे पूछा।

“हाँ मैं “केमनोव बोला। हय, बटलर, तुम कैसे हो? अभी तक सोये नहीं। मेरी द्मित्रीव्ना के साथ भाग रहे थे? सतर्क रहना, अथवा इवान मैथ्यू के साथ तुम परेशानी में पड़ जाओगे। वह कहा है? ”

“सुनिये” जिधर से उन्हें ढोल बजने और गाने की आवाज सुनाई दे रही थी उस दिशा की ओर इशारा करते हुए मेरी द्मित्रीव्ना ने कहा, “एक पार्टी चल रही है। ”

“यह जो कुछ भी है? तुम्हारे लोग रंगरेलियाँ मना रहे हैं? ”

“नहीं, हसफ यर्ट से हमारे मेहमान आए हुए हैं, और उनका स्वागत किया जा रहा है। ”

“यह उचित है। मैं ठीक समय में पहुंचा हूं। मैं उससे मात्र क्षणभर के लिए भेंट करना चाहूंगा। ”

“क्या, किसी मामले पर बात करने के लिए? ” बटलर ने पूछा।

“हाँ, एक छोटा-सा मामला है। ”

“अच्छा या खराब। ”

“यह निर्भर करता है। हमारे लिए वह अच्छा है, कुछ लोगों के लिए बुरा। ” और केमनोव हंसा।

उसी क्षण तीनों इवान मैथ्यू के घर पहुंच गये थे। “चिखीरेव” केमनोव एक कज्जा़क की ओर देखकर चीखा। “यहाँ आओ। ” एक डॉन कज्जा़क दूसरों से आगे बढ़ आया। वह ऊंचे बूट, ग्रेट कोट और पिट्ठू बैगों सहित डॉन की पारम्परिक पोशाक पहने हुए था।

“उसे बाहर निकालो, ” घोड़े से उतरते हुए, केमनोव बोला।

कज्जा़क भी घोड़े से उतर गया और अपने मिट्ठू बैग से एक बोरी निकाली जिसके अंदर कुछ था। केमनोव ने कज्जा़क से बोरी ले ली और अपना हाथ उसके अन्दर डाला।

“मैं आपको समाचार दिखाऊंगा। आप भयभीत नहीं होगीं? “उसने मेरी द्मित्रीव्ना से कहा।

“उसमें भयभीत होने जैसा क्या है? “मेरी द्मित्रीव्ना बोली।

“यहाँ यह है,” एक मानव सिर बाहर निकालते हुए और उसे चाँद की रोशनी में दिखाते हुए केमनोव बोला। “आप इसे पहचानती हैं? ”

वह एक आदमी का सिर था, जिसकी कनपटियाँ ऑंखों के ऊपर उभरी हुई थीं, दाढ़ी काली और मूंछे द्रिम की हुई थीं। उसकी एक ऑंख बंद थी और दूसरी अर्द्धनिमीलित थी। उसका घुटा हुआ सिर रक्त-रंजित और फटा-कटा था और खून के थक्के नाक पर जमा थे। खून से तर-बतर गरदन तौलिये से लिपटी हुई थी। सिर पर तमाम घावों के बावजूद, उसके नीले होठों पर सौम्यता और बच्चों जैसा भाव था।

मेरी द्मित्रीव्ना ने देखा और बिना कुछ कहे लौट पड़ी। वह तेजी से घर की ओर चली गयी।

बटलर उस भयानक सिर पर से अपनी ऑंखे नहीं हटा सका। यह उसी हाजी मुराद का सिर था जिसके साथ उसने कुछ समय पहले ही अत्यन्त मित्रतापूर्ण वार्तालाप करते हुए शामें बितायीं थीं।

“यह कैसे हुआ? किसने उसे मारा? कहाँ? ” उसने पूछा।

“वह भागने का प्रयास कर रहा था, और पकड़ा गया। ” कज्जा़क को सिर वापस देते हुए और बटलर के साथ घर में प्रवेश करते हुए केमनोव ने कहा।

“और एक हीरो की मौत मरा, “उसने आगे कहा।

“लेकिन यह सब हुआ कैसे? ”

“इवान मैथ्यू के आने तक प्रतीक्षा करो, और मैं इसके विषय में सब कछ बताऊंगा। इसीलिए मुझे भेजा गया है। इसे लेकर मैं सभी किलों में गया हूं और इसे गाँवों में दिखाता रहा हूं।”

इवान मैथ्यू नशे में धुत्त दो और अफसरो के साथ वापस आया और आते ही उसने तुरंत केमनोव को गले लगा लिया।

“मैं आपके लिए हाजी मुराद का सिर लाया हूं,” केमनोव बोला।

“मूर्ख ! तुमने उसे मार दिया? ”

“उसने भागने का प्रयास किया था। ”

“मैनें कहा था कि उसने हमसे धोखा किया था। तब वह कहाँ है, वह सिर? मुझे दिखाओ। ”

उन्होनें कज्जा़क को बुलाया और वह बोरी में भरा सिर ले आया। उन्होंने सिर बाहर निकाला, और इवान मैथ्यू नशे में डूबी ऑंखों से देर तक उसकी ओर देखता रहा।

“वह एक महान व्यक्ति था,” वह बोला, “मुझे उसे चूमने दो। ”

“ओह हाँ, वह एक हीरो था,” एक अफसर ने कहा।

उन सभी ने जब सिर को देख लिया, उन्होनें उसे कज्जा़क को वापस दे दिया। कज्जा़क ने उसे बोरी में रख दिया। वह उसे नीचे फर्श पर कम से कम आवाज के साथ रखने का प्रयास करने लगा था।

“हाँ, केमनोव, इसका प्रदर्शन करते समय तुमने कुछ भाषण दिया था? ” एक अफसर ने पूछा।

“यहाँ, मुझे इसे चूमने दो। उसने मुझे अपनी तलवार दी थी। ” इवान मैथ्यू चीखा।

बटलर बाहर डयोढ़ी की ओर गया। मेरी द्मित्रीव्ना दूसरी सीढ़ी पर बैठी थी। उसने घूमकर बटलर पर दृष्टि डाली और तेजी से मुड़कर दूर देखने लगी।

“मेरी द्मित्रीव्ना, मामला क्या है? ” बटलर ने पूछा।

“तुम सभी कसाई हो। मैं नहीं रुक सकती। हाँ, कसाइयो, “खड़ी होती हुई वह बोली।

“यह किसी के साथ भी घटित हो सकता था, “बटलर ने कहा। वह नहीं समझ पा रहा था कि उसे क्या कहना चाहिए। “इसी कारण युद्ध होते हैं। ”

“युद्ध? -- मेरी द्मित्रीव्ना चिल्ला उठी। “सचमुच में युद्ध ! कसाइयों, बस यही सब। एक मृत शरीर को जमीन में दफनाना चाहिए, और वे सब दांत निपोरते हुए, उसका प्रदर्शन कर रहे हैं। हाँ, कसाइयो, “डयोढ़ी छोड़ते हुए उसने दोहराया, और पिछले दरवाजे से घर के अंदर चली गयी।

बटलर कमरे में वापस लौट आया और केमनोव से बोला कि यह सब कैसे घटित हुआ वह उन्हें विस्तार से बताए। और केमनोव ने उन्हें बताया। उसकी कहानी इस प्रकार थी।