लेखन व प्रकाशन / बलराम अग्रवाल

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जिब्रान की पहली पुस्तक 1905 में प्रकाशित हुई, जो अरबी में थी — ‘नुब्था-फि-फन अल-मुसिका’। वह संगीत पर केन्द्रित थी। उन्होंने लेबनान के अरबी अखबार ‘अल मुहाजिर’ में ‘टीअर्स एंड लाफ्टर्स’ शीर्षक से कॉलम लिखना शुरू किया था जिसने उनकी पुस्तक ‘अ टीअर एंड अ स्माइल’ की भूमिका तैयार की। जिब्रान ने प्रेम, सचाई, सुन्दरता, मृत्यु, अच्छाई और बुराई पर केन्द्रित कुछ अरबी कविताएँ भी समाचार पत्रों में प्रकाशित करानी शुरू कीं। 1906 में उनकी दूसरी अरबी पुस्तक आई — ‘अराइस अल-मुरुज’(अंग्रेजी अनुवाद ‘द निम्फ्स ऑव द वैली’) जिसमें ‘मार्था’, ‘युहाना द मैड’ तथा ‘डस्ट ऑव एजिज़ एंड इटर्नल फायर’ शीर्षक तीन कहानियाँ थीं। इनमें वेश्यावृत्ति, धार्मिक दबाव व अंधविश्वास तथा दिखावटी प्रेम को विषय बनाया गया था। उनकी रचनाओं में प्रयुक्त कटाक्ष, यथार्थवादिता, मध्यवर्गीय चिन्ताएँ तथा राजशाही के खिलाफ स्वर ने पारम्परिक अरबी लेखन को धुँधला कर दिया। जिब्रान की तीसरी अरबी पुस्तक ‘अल-अरवा: अल-मुत्मर्रिदा:’ (अंग्रेजी अनुवाद ‘स्प्रिट्स रिबेलिअस’) मार्च 1908 में आई। पहली बार जिब्रान ने इसमें पेन व इंक से बनाया अपना एक सेल्फ-पोर्ट्रेट भी लगाया था। इस पुस्तक में ‘अल-मुहाजिर’ में प्रकाशित उनके लेखों पर आधारित चार रचनाएँ थीं। इसमें विवाहित स्त्री का अपने पति से अलगाव, आज़ादी के लिए विद्रोह का आह्वान, अनचाहे विवाह से पलायन कर दुल्हन का मौत को गले लगाना तथा 19वीं सदी के लेबनानी शासकों की क्रूरताओं को विषय बनाया गया था। चर्च की ओर से इन रचनाओं की भरपूर निन्दा की गई।

अरबी में प्रकाशित होने वाली उनकी अन्य पुस्तकें हैं — अल-अजनिहा अल-मुतकस्सिरा(अंग्रेजी अनुवाद ‘ब्रोकन विंग्स’, 1912), दम’अ व इब्तिसम’अ(अंग्रेजी अनुवाद ‘अ टीअर एंड अ स्माइल’, 1914), अल-मवाकिब (अंग्रेजी अनुवाद ‘द प्रोसेशन्स’, 1919), अल-अवासिफ (अंग्रेजी अनुवाद ‘द टेम्पेस्ट्स’ अथवा ‘द स्टॉर्म’, 1920। यह उनकी पूर्व-प्रकाशित रचनाओं का संकलन है।), इरम, धात अल-इमाद(1921; क़ुरान के 89:7 में वर्णित एक लुप्त अरबी शहर पर आधारित एकांकी, अंग्रेजी अनुवाद ‘इरम, द सिटी ऑव लोफ्टी पिलर्स’; यह सीक्रेट्स ऑव द हार्ट में प्रकाशित है), अल-बदाइ वाल-तराइफ (अंग्रेजी अनुवाद मार्वल्स एंड मास्टरपीसेज़ अथवा ‘द न्यू एंड द मार्वेलस’, 1923)।

अपनी पहली अंग्रेजी पुस्तक के प्रकाशन से ही जिब्रान की गिनती अमेरिका के स्तरीय साहित्यिकों में होने लगी थी। उनकी अंग़्रेजी में (मृत्युपूर्व) प्रकाशित उनकी पुस्तकें हैं — ‘द मैडमैन (1918), ट्वेंटी ड्रॉइंग्स (1919), द फोररनर (1920), द प्रोफेट (1923), सैंड एंड फोम(1926), किंगडम ऑव द इमेजिनेशन (1927), जीसस, द सन ऑव मैन(1928) तथा द अर्थ गॉड्स (1931, यह पुस्तक उनकी मृत्यु से दो सप्ताह पहले ही छपकर आई थी, जो उनके जीवन की संभवत: अंतिम कृति थी)। ‘द मैडमैन’ की रचनाओं को लेबनानी लोककथाओं पर आधारित बताया जाता है। इसमें संग्रहीत रचनाओं में से ग्यारह की मूल प्रतियाँ प्रिस्टन लाइब्रेरी के ‘दुर्लभ पुस्तकें तथा विशेष संग्रह’ विभाग के विलियम एच. शेहादी खलील जिब्रान संग्रहालय के तहत सुरक्षित हैं। ‘द फोररनर’ में नैतिक कथाएँ और काव्य कथाएँ हैं। सभी का आधार सूफी मत प्रतीत होता है। इसकी 24 में से 7 की मूल प्रतियाँ उपर्युक्त लाइब्रेरी में सुरक्षित हैं। ‘द प्रोफेट’ का प्रकाशन पूर्व नाम ‘द काउंसल्स’ था। यह जिब्रान की सर्वाधिक चर्चित कृति है। यह न तो पूरी तरह दार्शनिक कृति है और न पूरी तरह साहित्यिक। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सैनिकों में बाँटने के लिए इसका अतिरिक्त संस्करण छापा गया था। 1961 में इसकी 1,11,000 प्रतियाँ बिकी थीं। इसके प्रकाशक अलफ्रेड ए॰ नोफ के अनुसार, सन 2000 तक ‘द प्रोफेट’ की एक करोड़ से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी थीं। इसकी 26 में से 19 रचनाओं की मूल प्रतियाँ प्रिस्टन लाइब्रेरी में सुरक्षित हैं।

‘सैंड एंड फोम’ (1926) में सूक्तियों व बौद्धिक वाक्-चातुर्य की लघुकाय रचनाएँ संग्रहीत हैं। आलोचकों का आरोप है कि इसकी बहुत-सी सूक्तियाँ बहाउल्ला-जैसे पूर्व अरब चिन्तकों द्वारा कही जा चुकी थीं। बावजूद इसके यह एक लोकप्रिय कृति है। इनके अतिरिक्त तीन पुस्तकें उनकी मृत्यु के उपरांत प्रकाशित हुईं — द वांडरर (1932) (इसमें बोधकथाएँ, नीतिकथाएँ और सूक्तियाँ हैं। इस कृति को जिब्रान ने अपनी मृत्यु से मात्र 3 सप्ताह पूर्व अन्तिम रूप दिया था। इसकी मूल पांडुलिपि को इसके प्रकाशन के उपरांत बारबरा यंग द्वारा नष्ट कर दिया बताया जाता है। इस कृति में पंचतंत्र की कथाओं की भाँति मेढक, कुत्ते, पेड़, चिड़ियाँ, जल-धाराएँ, घास और तिनके, यहाँ तक कि छाया भी मनुष्यों की तरह बोलती-बतियाती है)द गार्डन ऑव द प्रोफेट (1923, इस पुस्तक को जिब्रान की मृत्यु के बाद बारबरा यंग द्वारा पूरा किया गया था।) तथा लज़ारस एंड हिज़ बिलविड (नाटक, 1933)।