सिनेमा में लैंडस्केप / बावरा बटोही / सुशोभित

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सिनेमा में लैंडस्केप
सुशोभित


कैलिफ़ोर्निया, हाई वीस्‍ता स्थित कैल्‍वेरी बैपटिस्‍ट चर्च। वुडन फ़्लोर वाले इस मामूली-से सबर्बन चर्च को क्‍वैंटीन टैरेंटिनो की फिल्‍म 'किल बिल' में एक प्रमुख लोकेशन के रूप में इस्‍तेमाल किया गया है। यहीं वह नृशंस हत्‍याकांड घटित होता है, जो कि इस फिल्‍म के कथानक का मूलाधार है। फिल्‍म में उस हत्‍याकांड को शीर्षक दिया गया है : 'मैसेकर एट टू पाइन्‍स।' जाने क्‍यों, गन्‍स एंड रोज़ेज़ का गीत 'नवम्‍बर रेन' मुझे अकसर इस चर्च की याद दिलाता है, जिसमें ऐसे ही एक गिरजे के बाहर खड़ा होकर स्‍लैश विकलता के साथ गिटार बजाता है।

'किल बिल' में जब माइकल पार्क्‍स की कार इस चर्च पर पहुंचती है (जब हम कार के भीतर से, उसकी विंडस्‍क्रीन से बाहर देख रहे होते हैं और पृष्‍ठभूमि में चार्ली फ़ीदर्स का गाना 'दैट सर्टेन फ़ीमेल' बज रहा होता है) तो मेरे भीतर एक गहरी आकांक्षा जागती है : कड़ी धूप वाली किसी दोपहरी में वहाँ जाना और बिल ने जिस बेंच पर बैठकर बांसुरी बजाई थी, वहाँ बैठकर कुछ देर कुछ नहीं की प्रतीक्षा करना। इस जगह में गहरे तौर पर कुछ एकांतिक है, कुछ नीरव है, जो मुझे पुकारता है, अपनी ओर खींचता है। मेरे भीतर के किसी निविड़ से उसका जैसे कोई नाता है।

फिल्‍में देखना मेरे लिए इसीलिए हमेशा से एक ठोस भौतिक गतिविधि रहा है, जो मुझे अपने साथ एक थकान भरी यात्रा पर लिए जाती है। कई फिल्‍मों के लैंडस्‍केप इसी तरह से आज मेरे अंतर्मन का हिस्‍सा बने हुए हैं, जैसे कि कैलिफ़ोर्निया, हाई वीस्‍ता स्थित यह कैल्‍वेरी बैपटिस्‍ट चर्च, जिसे टैरेंटिनो के शैलीकृत और मुलायमियत से भरे मोनोक्रोम फिल्‍मांकन ने मेरे भीतर जैसे थिर कर दिया है। मसलन, अंद्रेई तारकोव्‍स्‍की भले ही मेरे सर्वप्रिय फिल्‍म निर्देशक हों, उनके गीले, उमस भरे, संतप्‍त लैंडस्‍केप मुझे कभी नहीं रुचते, इसीलिए तारकोव्‍स्‍की की फिल्‍में देखना मेरे लिए हमेशा से एक दुर्निवार चाक्षुष अनुभव रहा है, जैसे कि 'स्‍टॉकर', जैसे 'नॉस्‍टेल्जिया।' शायद, यही कारण है कि तारकोव्‍स्‍की की सभी फिल्‍मों में मुझे 'अंद्रेई रूब्‍ल्‍योफ़' विशेष प्रिय है, अपने विशिष्‍ट मध्‍यकालीन लैंडस्‍केप के कारण, जो कि मुझे इंगमर बेर्गमन की फिल्‍मों की याद दिलाती है। (प्रसंगवश, बेर्गमन की फिल्‍म 'विंटर लाइट' में भी एक कैथेड्रल का केंद्रीय मोटिफ़ है, सफ़ेद दीवारों वाला एक सूनापन।)

इन मायनों में मुझे अंतोनियोनी सर्वाधिक प्रिय हैं, जिनके यहाँ रूखे, धूसर, अप्रचलित और खुरदुरे लैंडस्‍केपों की एक लंबी श्रंखला। 'पैसेंजर' इसीलिए एक ख़ास फिल्‍म है, क्‍योंकि वो आपको अपने साथ एक ऐसी यात्रा पर लिए चलती है, जिसका गंतव्‍य किसी को भी नहीं मालूम, अंतोनियोनी को तो सबसे कम। यासुजिरो ओज़ू मुझे चाहे जितने प्रिय, पर उनके यहाँ कोई लैंडस्‍केप नहीं, केवल 'इंटीरियर' हैं। यही स्थिति वोंग कार वाई की भी है, लेकिन वेर्नर हरज़ोग के यहाँ भरपूर भूदृश्‍य हैं। संभवत: किसी और फिल्‍मकार ने भूदृश्‍यों पर इतना काम नहीं किया गया होगा, जितना हरज़ोग ने किया है। हरज़ोग के यहाँ उनके लैंडस्‍केप ही हमेशा से सबसे महत्‍वपूर्ण चरित्र रहे हैं। 'अगिरे, द रैथ ऑफ़ गॉड' की आदिम आरण्यिकता के बारे में चाहे जितनी बातें कर ली जाएं, लेकिन 'साइन्‍स ऑफ़ लाइफ़' के क्रीट के सूने और आत्‍मोन्‍मत्‍त लैंडस्‍केप को भुलाना क्‍या सम्भव है? और सबसे बढ़कर 'नोस्‍फ़ेरातु' में फिल्‍माई गईं देल्‍फ़ की वे नहरें! मोमजामे में लिपटा वह नर्मोनाज़ुक फिल्‍मांकन!

फ़ेदरीको फ़ेल्‍लीनी के यहाँ ऐसा कोई लैंडस्‍केप नहीं, जिसे समुद्र का किनारा न छूता हो। भोर-सांझ के झुटपुटे में वे उन्‍हें फिल्‍माते हैं। 'ला दोल्‍चे वीता' का कैसल क्‍या भुलाया जा सकता है, जो कि अनमनेपन का, अलगाव का एक भूखंड है? आकि काउरिसमाकी की फिल्‍मों में फिनलैंड के हाशिये पर बसी बसाहटों के दृश्‍य, कुरोसावा के यहाँ अनिष्‍ट के संकेतों से भरे वन-प्रांतरों के बिम्‍ब, 'इन द सिटी ऑफ़ सिल्विया' का स्‍ट्रॉउसबर्ग, जो कि एक स्‍त्री के प्रति आकांक्षा का लैंडस्‍केप है, बेला तार के यहाँ समय के विलम्बित में थमी छवियाँ, 'वोदका लेमन' की धवल हिम, 'डिस्‍ग्रेस' के खुरदुरे पत्‍थर, 'डेकालॉग' के सबर्बन अपार्टमेंटल ब्‍लॉक्‍स। किस्‍लोव्‍स्‍की की फिल्‍मों की रंगत : पीताभ, रक्‍ताभ, नीलाभ दमक, जो कि उनका लैंडस्‍केप बन जाती हैं। आन्‍ह हुंग त्रान के हरीतिमा से ग्रस्‍त इंटीरियर्स। सत्‍यजित राय के कांस के खेत और गांव के पोखर...

और भी बहुत कुछ, वह सब, जो अभी याद नहीं कर पा रहा। ये सब मेरे आत्‍मलोक का अभिन्‍न अंग हैं। कई बार किसी एक लैंडस्‍केप को एक बार फिर से निहारने भरे के लिए ही किसी फिल्‍म को दोबारा-तिबारा देखता हूं, यह मेरे लिए एक थका देने वाली ज़िद है और फिल्‍में देखना इन्‍हीं मायनों में मेरे लिए एक ठोस भौतिक अनुभूति। टैरेंटिनो के इस कैल्‍वेरी बैपटिस्‍ट चर्च को भले ही मैं एक बार अपनी आंखों से प्रत्‍यक्ष देखना चाहता हूं, फिर भी एक अर्थ में, वह भूदृश्‍य मेरे भीतर कुछ इस तरह रचा-बसा है, कि वह मुझसे पृथक भी नहीं। अपने आपमें यह एक समांतर संसार, जो इन फिल्‍मों ने मेरे भीतर रचा, जिसने मेरे भीतर कुछ नए रास्‍ते बनाए हैं।