एक मरी तितली / कल्पतरु / सुशोभित
सुशोभित
एक मरी तितली मिली। काग़ज़ जैसी सूखी। बरामदे में पड़ी थी। मैंने देखा कि उसका एक पंख आधा टूटा था। वह कैसे मरी होगी? मरकर यहां कैसे पहुंची होगी? मैंने पाया कि मैं जीवन में पहली बार एक मरी तितली देख रहा था।
सत्यजित राय की फ़िल्म अशनि संकेत में तितलियों का मरना दुर्भिक्ष का प्रतीक बन गया था। तितलियां धीरे-धीरे मरती थीं। सूखा बढ़ता ही जाता था। अन्न के भंडार रिक्त हो जाते थे। खोखल वाली गूंज से भर जाते थे। बंगभूम के ग्रामवृंद भूखों मरते थे। तितलियों का मरना रस का चुक जाना था।
मैंने कांपते हाथों से मरी तितली को छुआ। उसके रंग गीले नहीं थे। उसके पंखों का जलरंग सूख गया था। किंतु रंगों में कांति अभी विद्यमान थी। मुझे यह विचित्र-सा विचार आया कि क्या तितलियां रंगों को देख पाती हैं? अगर देख सकती हों, तब भी औरों को ही देखती होंगी। एक तितली कभी स्वयं को नहीं देख सकती। वह धनक के एक स्फुरण भरे चित्र सी यहां वहां मंडलाती है, किंतु उसके रंग औरों का अचरज हैं। शायद वो इस बात को कभी समझ नहीं पाती होगी कि उस पर सब चकित क्यों होते हैं। सब मुझे ऐसे क्यूं देखते हैं, मैंने क्या अपराध कर डाला?
मुझे व्लादीमीर नबोकफ़ याद आया। वह तितलियों का संग्रह करता था। अपनी नोटबुक में वह तितलियों के रेखाचित्र बनाता और उनका अध्ययन करता। वह तितलियों के नाम भी रखता था। जब वह क्रीमिया गया तो तितलियों की सतहत्तर नई प्रजातियां खोज निकालीं। अमरीका में उसने एक नीली तितली खोजी और उसको कार्नेर ब्लू कहकर पुकारा। कितना सुंदर नाम- कार्नेर ब्लू! जब वो मरा तो उसके द्वारा बनाए गए तितलियों के चित्रों का एक संकलन फ़ाइन लाइंस नाम से छपा।
मैंने नबोकफ़ की तस्वीर देखी है, जिसमें वह तितलियों की खोज में भटक रहा था। बूढ़ा, गंजी खल्वाट खोपड़ी वाला, घुटनों तक पतलून चढ़ाए, रंगे सिर। कोई ज़िंदगी भर किताबें लिखने के बाद जीवन के आख़िरी दिनों में तितलियों को खोज रहा था, उनके नाम रख रहा था। और एक मैं था, जो केवल धीरे-धीरे मर रहा था। एक मरी हुई तितली के सामने चुपचाप खड़ा था। मुझे उसका नाम नहीं मालूम था। मेरी तमाम मालूमात एक लमहे में चुक गई थीं। मुझे तितली का नाम नहीं मालूम था। किसी भी तितली का नहीं। दुनिया में हज़ार तरह की तितलियां हैं, मैं सभी को तितलियां कहता हूं। जैसे कोई सभी मनुष्यों को मनुष्य कहे!
थियोफ़ेनस द ग्रीक उस मरी तितली को देखकर क्या कहता? क्या च्वांगत्सू सपने में कभी किसी मरी तितली को भी देखता? सालिम अली का इल्म इस पर क्या कहता? जगदीश स्वामीनाथन उसका चित्र कैसे बनाता? जगदीश स्वामीनाथन पक्षियों के चित्र बनाता था। यह स्वामीनाथन ही था, जिसने पूछा था कि जब एक गोरैया मरती है तो क्या होता है? धरती के धंसने से जब चींटियों की बांबी में सभी चींटियां दबकर मर जाती हैं, तब क्या होता है? मैं होता तो विस्मय के उस अनुक्रम में एक तितली की सुघड़ मृत्यु भी जोड़ देता, जिसका आधा पंख टूट गया था।
मैंने अपनी किताबों में सूखे पत्ते सहेज रखे हैं। मरे हुए फूल। पुराने सिक्के और बुकमार्क। एक बुकमार्क खादी का, एक पीले तार की ज़री वाला। रिल्के ने मृत्यु पर जो किताब लिखी थी, सोचकर इरादा करता हूं उसमें वह मरी हुई तितली सहेजकर रखूंगा।