नींद ही इच्छाएं / कल्पतरु / सुशोभित

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नींद ही इच्छाएं
सुशोभित


"रूड अवेकनिंग" - ये अंग्रेज़ी का लफ़्ज़ है.

यानी ना केवल नींद से जगाया जाना, बल्कि बड़े रूखे, उजड्ड, अशिष्ट तरीक़े से जगाया जाना. जैसे कि नींद से जगाया जाना ही कोई कम सितम था!

जब पलकों पर तसल्ली का गुलाब रखकर जगाना था, तब कान में तूती बजाकर जगाना. गरदन के नीचे से भुलावे का तकिया खींच लेना. कंधा झकझोर कर यों खदेड़ देना कि जागने में अचरज और दुश्चिंता धंस जाए, और फिर उसके बाद की तमाम नींदें बुरे सपनों के साथ ही उस अचरज और दुश्चिंता से भी ग्रस्त हो जाएं.

"डिसओरिएंटेशन" वाली जाग. एक ख़लल, एक बेअदबी. वेलकम टु द वर्ल्ड. वेलकम होम! क्या आप धरती की गंध अनुभव कर सकते हैं, धूल में धंसे हुए?

दुनिया भले एक बड़े धमाके से शुरू हुई हो, आदमी चाहता है कि उसे अदब से उठाया जाए, जैसे कि बड़े ही हुनर और सलीक़े से सुनाई जाती हैं किसी के या आप ही के मर जाने की ख़बर.

ये और बात है कि चाहे जैसे जगाया जाए, एक बार आँख खुलने के बाद दुनिया वैसी ही नाशुक्रा होगी, जैसी वो हमेशा से थी. जैसी वो तब भी थी, जब आप सो रहे थे, दुर्दैव की चादर ओढ़े.

तब आप ये भी कह सकते हैं कि "रूड अवेकनिंग" में दोहराव का रेटरिक है. पुनरुक्ति प्रकाश! कि तमाम "अवेकनिंग" आख़िरकार "रूड" ही होती हैं.

क्योंकि नींद आदमी की सबसे बुनियादी इच्छा है. उसकी सबसे आदिम रूढ़ि.

"नींद ही इच्छाएं", कवि ने कहा था ना!