हैपी वॉटर्स / कल्पतरु / सुशोभित
सुशोभित
रोमन लोग कहते थे-- "हैपी वॉटर्स", जब सोते से झरना फूटकर बह चले, और सुदूर कानों में उसके मद्धम स्वर मंज जाएं।
हैपी वॉटर्स-- हिंदी में उसको कहेंगे, खिलखिलाता हुआ जल-- प्रमुदित और प्रफुल्ल!
अज्ञेय ने जिसको कहा है-- "जाते पानी को धोता है आता पानी!" कुछ वही।
रोमन लोग वैसा कहते थे, किंतु कौन-से रोमन? वर्जिल नहीं, ओविड नहीं, होरेस नहीं। नेचरल हिस्ट्री लिखने वाला प्लिनी द एल्डर भी नहीं। ये तो बसील केनेट ने कहा था, "द एंटीकिटीज़ ऑफ़ रोम" में--
"फ्रॉम सिल्वर-पाइप्स द हैपी वॉटर्स फ़्लो /
इन सिल्वर सिस्तर्न्स आर रिसीव्ड बिलो!"
फिर एक और रोमन ने अपनी फ़िल्म* में इस कथन को दोहराया। वो एक स्पा-टाउन था। जलसा जारी था, शराब बह रही थी। पुते चेहरे वाला विदूषक अट्टहास कर रहा था। और तब एक युवा लड़की ने प्रतिकार के एकल स्वर में चीख़कर कहा था- "साइलेंस! मुझे सुनने दो पानी की आवाज़!"
ये सुदूर अस्फुट स्वर किसी छोटी नदी का ही हो सकता है। किसी नदिया का। नदी तो हहराएगी। महानद तो हुंकार भरेगा। ये किसी क्षीण जलधार का ही गान हो सकता है। रिवर नहीं रिव्यूलेट। रिव्यूलेट भी नहीं, ब्रुक। छोटी नदी के लिए ये कितना सुंदर नाम है, कि इस नाम में ही सोते से जलधार फूटने की ध्वनि है-- "ब्रुक"! लॉर्ड टेनिसन के काव्य का आलम्बन।
बहता पानी "हैपी वॉटर" है तो पोखर का ठहरा जल क्या कहलाएगा? "पेन्सिव?" "कॉन्टेम्प्लेटिव?" आत्ममंथन में डूबी जलराशि। बाशो का पुरातन पोखर, जिसमें दादुर के छपाक से कूदने का स्वर निविड़ अंधकार को सुई की तरह भेद देता हो!
तब समुद्र का जल क्या कहलाएगा? "एग्ज़ॉल्टेड?" "एक्सटेटिक?" या, "रेस्टलेस?" अपनी इयत्ता से उद्विग्न!
वेर्नर हरसोग अपने सिनेमा के लिए "एक्सटेटिक लैंडस्केप" की तलाश करता था, समुद्र के "एक्सटेटिक सी-स्केप" को देखकर वो क्या सोचता, और रोमन क्या सोचते?
लेकिन वो एक रोमन फ़िल्मकार समुद्र के बारे में क्या सोचता था, इस बारे में तो ख़ैर कोई शुब्हा नहीं। उसकी फ़िल्में समुद्र की तटरेखाओं से बंधी होतीं और रेत कछार पर अकॉर्डियन बजाते अंधे संगीतकार के उत्फुल्ल चेहरे पर फ़ेड आउट हो जातीं।
"हैपी वॉटर्स" की जाने कौन-सी धारा बहती होगी, उसकी आत्मा के भीतर? ला दोल्चे वीता!
- फ़ेदरीको फ़ेल्लीनी और उनकी फ़िल्म- "एट एंड अ हाफ़।"