परदे के पीछे / जयप्रकाश चौकसे / फरवरी 2020
Gadya Kosh से
फरवरी 2020 के लेख
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- हिंसा के चेहरे पर चढ़ता अहिंसा का नया मुखौटा / जयप्रकाश चौकसे
- प्रियंका और जेनिफर के वस्त्र / जयप्रकाश चौकसे
- वहीदा रहमान: गरिमा और खामोशी / जयप्रकाश चौकसे
- भावहीन मनुष्य अवधारणा / जयप्रकाश चौकसे
- रिश्तों का सौदा, भावना का बाजार / जयप्रकाश चौकसे
- रोग का उपचार या रोगी की मृत्यु का विचार / जयप्रकाश चौकसे
- ‘इंडिया सॉन्ग’ : महिला प्रतिरोध की फिल्म / जयप्रकाश चौकसे
- मोहेंजो दारो, मुर्दों का टीला और विक्की डोनर / जयप्रकाश चौकसे
- तीन घटनाओं का एक संदेश / जयप्रकाश चौकसे
- गुड़ खाते हैं, गुलगुले से परहेज / जयप्रकाश चौकसे
- ‘हुं तने प्रेम करूं छु’ / जयप्रकाश चौकसे
- नंगी आवाजें और टाट के परदे / जयप्रकाश चौकसे
- फिल्मकार जॉन वू और देवकीनंदन खत्री / जयप्रकाश चौकसे
- सपनों के सौदागर और सौदागर के सपने / जयप्रकाश चौकसे
- अदृश्य होने की कामनासे प्रेरित फिल्में / जयप्रकाश चौकसे
- ‘चक दे इंडिया’ और महाकवि कबीर / जयप्रकाश चौकसे
- कैलेंडर के लिए बनाई पेंटिंग्स / जयप्रकाश चौकसे
- मौसम है कातिलाना, पृथ्वी को बचाना है / जयप्रकाश चौकसे
- सृजन क्षेत्र में जुगलबंदी / जयप्रकाश चौकसे
- सोना रे सोना, जुदा नहीं होना / जयप्रकाश चौकसे
- देसी सिनेमा बनाम डॉलर सिनेमा का छलावा / जयप्रकाश चौकसे
- पुलिस प्रेरित फिल्मों की भेल / जयप्रकाश चौकसे
- फिल्मों के न्यायालय दृश्य में संकेत / जयप्रकाश चौकसे
- ‘हुनूज दूर अस्थ’ / जयप्रकाश चौकसे