परदे के पीछे / जयप्रकाश चौकसे / अक्तूबर 2012
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अक्तूबर 2012 के लेख
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- गांधीजी कभी मर नहीं सकते / जयप्रकाश चौकसे
- अपने-अपने कुरुक्षेत्र / जयप्रकाश चौकसे
- देसी 'बर्फी' और विदेशी पुरस्कार / जयप्रकाश चौकसे
- अजय-शाहरुख या कर्ण-अर्जुन! / जयप्रकाश चौकसे
- ऐश्वर्या राय की नई पारी / जयप्रकाश चौकसे
- लिखे जो खत तुझे सितारे बन गए ! / जयप्रकाश चौकसे
- क्या बदतमीजी विरेचन करती है ? / जयप्रकाश चौकसे
- एक बूढ़े आक्रोश की उद्गम कथा / जयप्रकाश चौकसे
- क्या यह कलियुगी समुद्र-मंथन है? / जयप्रकाश चौकसे
- हर शख्स यहां मोटर साईकिल सवार है / जयप्रकाश चौकसे
- सिनेमा मे कायम अखिल भारतीयता / जयप्रकाश चौकसे
- करोड़ के मुक़दमे में एक पैसे का भुगतान / जयप्रकाश चौकसे
- डॉलर सिनेमा और डॉलर उपनिवेशवाद / जयप्रकाश चौकसे
- प्यास के रिश्ते और रिश्तों की कसक / जयप्रकाश चौकसे
- सदियों के अन्याय से पीडि़त मनुष्य / जयप्रकाश चौकसे
- सावधान ! आलिया भट्ट आ रही हैं / जयप्रकाश चौकसे
- श्रीमती टीना अंबानी का फिल्म उत्सव / जयप्रकाश चौकसे
- यश चोपड़ा - मसरूफ जमाना और पल दो पल का शायर... / जयप्रकाश चौकसे
- उत्सवों के सामाजिक राजनीतिक प्रभाव / जयप्रकाश चौकसे
- घर की पूजा का सार्वजनिक महत्व / जयप्रकाश चौकसे
- सामाजिक रसायन शाला में केमिकल लोचा / जयप्रकाश चौकसे
- लाल सलाम थोड़ा सिंदूरी-सा है / जयप्रकाश चौकसे
- यश चोपड़ा की मृत्यु और उनकी कार्य-संस्कृति / जयप्रकाश चौकसे
- जसपाल भट्टी : व्यंग का नमक / जयप्रकाश चौकसे
- एक दिन के लिए उलटफेर / जयप्रकाश चौकसे
- नायक खलनायक का सामाजिक पोस्टमार्टम / जयप्रकाश चौकसे
- भारतीय तड़के का जवाब नहीं / जयप्रकाश चौकसे