परदे के पीछे / जयप्रकाश चौकसे / सितम्बर 2017
Gadya Kosh से
सितम्बर 2017 के लेख
- कितना कंगाल है करोड़पति? / जयप्रकाश चौकसे
- फिल्मों के जुगराफिया में छोटे शहर / जयप्रकाश चौकसे
- सितारा जोड़ियों के रिश्तों का रसायन / जयप्रकाश चौकसे
- आभासी सूखे कुएं में गूंजती आवाज़ें / जयप्रकाश चौकसे
- अधिक संख्या में फिल्म बनाने का जुनून / जयप्रकाश चौकसे
- आमिर खान की फिल्म और एक उपन्यास / जयप्रकाश चौकसे
- शुभ मंगल सावधान : सोद्देश्य मनोरंजन / जयप्रकाश चौकसे
- अंजू महेन्द्रू: सोबर्स से इम्तियाज तक / जयप्रकाश चौकसे
- क्यों फिल्म सृजन आशु काव्य है? / जयप्रकाश चौकसे
- जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय / जयप्रकाश चौकसे
- जे हम तुम चोरी से बंधे एक डोरी से जइयो कहां ऐ हुज़ूर / जयप्रकाश चौकसे
- क्या दोस्ती दुश्मनी आनुवांशिक होती है? / जयप्रकाश चौकसे
- आइन रैंड से प्रेरित है कंगना रनोट? / जयप्रकाश चौकसे
- वह ट्रेन सी गुजरती है, मैं पुल सा थरथराता हूं / जयप्रकाश चौकसे
- पहाड़ों से टकराकर लौटती हुई ध्वनियां / जयप्रकाश चौकसे
- एक इमारत नहीं, विरासत का जलना / जयप्रकाश चौकसे
- स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से / जयप्रकाश चौकसे
- परिवार की शतरंज पर शह और मात का खेल / जयप्रकाश चौकसे
- समय सीमाएं लांघता बिरजू का पात्र / जयप्रकाश चौकसे
- दुर्गा सप्तशती से प्रेरित फिल्में / जयप्रकाश चौकसे
- मनोरंजन जगत के जुगनू / जयप्रकाश चौकसे
- एक अदृश्य होने वाली स्याही से लिखा इतिहास / जयप्रकाश चौकसे
- न्यूटन: लॉज़ ऑफ फिल्म मेकिंग / जयप्रकाश चौकसे
- उत्सव से जुड़ा फिल्म प्रदर्शन / जयप्रकाश चौकसे
- थका बूढ़ा फिल्मकार और सिताराविहीन पलटन / जयप्रकाश चौकसे